Hi friends............! WO PALL...is the name of a book in Hindi literature by which you can touch the horizon of self motivation and human values indeed....Readers just wait for the upcoming English Novel"The Story of WEEKENDS." yours - Sarvesh Tripathi 'kavya'.
Tuesday, February 10, 2009
वो पल...
"वो पल..." आप सोचेंगे कौन से पल! ये वो पल हैं जिनसे जीवन में हर शख्स को रु-ब-रु होना होता है.....
यहाँ उन संवेदनशील लम्हों की बात कही जा रही है जो अपने आप में कई तरह की मनोभावनाएं समेटे हुए हैं... और जिनके बिना ये जीवन अधुरा है। निश्चित ही हर वाकया, हर काव्यांश आपकी अपनी ही दास्ताँ है।
प्रत्येक कविता एवं वाक्यांश अपना कुछ वजूद रखती है। कुछ घटनाएँ, कोई व्यक्तित्व, कुछ आतंरिक संवेदनाएं, कुछ विचार, सजीव एवं निर्जीव मनोविज्ञान, संभवतः कोई करुण अथवा खुशनुमा दृश्य जो जब मेरे आस पास-आए या किसी और को इनमें उलझा देखा , तभी मैंने इन्हे उठा कर कागज़ के पन्नों पर सज़ा दिया और उकेर दिया उन सभी अहसासों और दृष्टिकोणों को जो की मन मस्तिष्क को झकझोर देने की छमता रखता थे।
तो आइये काव्य-साहित्य को उसकी विभिन्न परम्पराओं में महसूस करें। विभिन्न रसों से लाबलाब्ब इस रस-शाला "वो पल" का द्वार आप सबके लिया खुला है और मैं इस बाग़ का माली (सर्वेश त्रिपाठी) दोनों हाथों से आपका स्वागत एवं आह्वान करता हूँ।
एक इंजीनियरिंग छात्र के तौर पर मेरा मानना है कि तकनीक का प्रयोग भाषा एवं साहित्य के स्तर पर भी होना चाहिए,ताकि साहित्य कि ये विधा अपने तकनिकी रूप में सुशोभित हो सके । फलतः किसी भी कार्य के तकनिकी पहलुओं को ध्यान में रख कर ही सटीकता को प्राप्त किया जा सकता है।
आपका - सर्वेश त्रिपाठी"काव्य".
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