ए वक्त!मुझसे मेरा बचपन मत छीनो।
फ़िर दिन का उजाला भर जाए,
सुना आँगन फ़िर खिलखिलाए,
बगिया अपनों से सजती हो तो,
जीने का मज़ा भी आ जाए।
यूँ रात का आँचल गहराए,
सो शाम की लाली खोने दो।
ए वक्त!मुझसे मेरा बचपन मत छीनो।
याद मुझे इक बात हुई थी,
घनघोर अँधेरी रात हुई थी,
रहे हम सोये सपनो में खोये,
इक श्वेत परी से बात हुई थी,
सपनो का राग ही बदल गया,
मुझे उसी रात में सोने दो।
ए वक्त!मुझसे मेरा बचपन मत छीनो।
सच क्या है क्या होता जूठ,
जो कुछ देखा,जो कुछ पाया,
झट हमने सबको बताया,
रही नही जब किसी की काया,
इस पर कब मैं पछताया,
बातों की काया बदल न दो।
ए वक्त!मुझसे मेरा बचपन मत छीनो।
प्रथम गुरु जो माँ है मेरी,
जिसने मुझे चल संसार दिखाया,
उसके आँचल में आनंद लहर थी,
सत संस्कारों से लैस कराया,
वही आदि है,वही अंत है,
फ़िर उसी गुरु संग पढने दो।
ए वक्त!मुझसे मेरा बचपन मत छीनो।
बिता बचपन,बदली कया,
जाने कहा समय ले आया,
नए रही जब साथ मिले,
नई नवेली बात बढ़ी,
बातों की सौगात बढ़ी,
बातों की काया बदल न दो।
ए वक्त!मुझसे मेरा बचपन मत छीनो।